जीएसटी के अंतर्गत निरीक्षण, तलाषी एवं जब्ती आदि के प्रावधान धारा- 67 से 72 में वर्णित हैं। सामान्यतः प्रावधान जैसे पूर्व के कानून जैसे कि वैट, सर्विस टैक्स आदि में थे, उसी तरह से वर्णित हैं लेकिन इसमें कुछ प्रावधान अलग से दिए गए हैं तथा अधिकारियों को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं।
धारा-67के अनुसार निरीक्षण का कार्यान्वयन संयुक्त आयुक्त या उसके उपर के रैंक के अधिकारी द्वारा लिखित आदेष में दिया जा सकता है। उक्त कानून के अंतर्गत यह निर्देषित किया गया है कि इस तरह का अधिकार तभी दिया जा सकता है जब उक्त अधिकारी को विष्वास करने के पर्याप्त कारण है कि करदेय व्यक्ति ने निम्नलिखित किसी भी प्रकार का कार्य किया है:-
1. आपूर्ति के किसी लेन देन को दबाया है,
2. हाथ में वस्तुओं के स्टॉक को दबाया है,
3. ज्यादा इनपुट कर क्रेडिट का दावा किया है,
4. कर के लिए सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन किया है,
इसके अतिरिक्त उक्त धारा-67 में यह भी वर्णित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति के उपर भी कार्यवाही हो सकती है। अगर विष्वास करने के पर्याप्त कारण है कि उक्त व्यक्ति ने निम्नलिखित किसी भी प्रकार का कार्य किया है:-
एक ट्रांसपोर्टर या गोदाम के मालिक के पास कुछ माल रखा है जिस पर कर को भुगतान बचाया गयाहै या अपने खातों या माल को इस तरीके से किसी स्थान पर रख दिया है कि कर से बचने की संभावना हो।
उक्त कार्यवाही संयुक्त आयुक्त स्वयं कर सकते हैं और वह किसी अन्य अधिकारी को भी इस काम के लिए लिखित आदेष दे सकते हैं।
कानूनी शब्दकोश के अनुसार और विभिन्न न्यायिक निर्णयों में नोट के रूप में, शब्द ‘‘तलाशी’’, का सरल भाषा में अर्थ, सरकारी मशीनरी की एक कार्रवाई करना, देखना या एक स्थान, क्षेत्र, व्यक्ति, वस्तुओं इत्यादि का बडी सावधानी के साथ यह जानने के लिये निरीक्षण करना कि कहीं कुछ छिपाया तो नहीं गया है या किसी अपराध के साक्ष्यों की तलाश के उद्देश्य के लिए। एक व्यक्ति या वाहन या परिसर आदि की तलाशी केवल कानून के उपयुक्त और वैध अधिकार के अंतर्गत किया जा सकता है।
यह स्पष्ट करनाजरूरी है कि उक्त धारा व कानून के अंतर्गत कार्यवाही अधिकृत अधिकारी या अधिकृत अधिकारी से प्राप्त अनुमति के बाद ही केवल सीजीएसटी/एसजीएसटी के अधिकारी को निम्न में से किसी एक के निरीक्षण करने के लिये दी जा सकती है-
1. कराधीन व्यक्ति के व्यापार का कोई स्थान,
2. एक व्यक्ति जो वस्तुओं के परिवहन के कारोबार में संलग्न है उस व्यक्ति के व्यापार के किसी भी स्थान पर चाहे वह पंजीकृत कराधीन व्यक्ति है या नहीं,
3. एक मालिक या माल गोदाम या गोदाम के संचालक के किसी व्यापारिक स्थान पर।
सर्च वारण्ट
तलाशी करने के लिये लिखित प्राधिकृति को आमतौर पर सर्च वारंट कहा जाता है। सर्च वारंट जारी करने के लिए सक्षम प्राधिकारी संयुक्त आयुक्त या उससे उपर के रैंक का अधिकारी है। एक सर्च वारंट में एक तर्कसंगत विश्वास का संकेत होना आवश्यक है जिसके कारण तलाशी की जा रही है। सर्च वारंट में निम्नलिखित विवरण शामिल करना चाहिए-
1. अधिनियम के अंतर्गत उल्लंघन,
2. तलाशी किये जाने वाला परिसर,
3. प्राधिकृत तलाशी करने वाले व्यक्ति का नाम और पदनाम,
4. जारी करने वाले अधिकारी की गोल मुहर सहित पूर्ण पदनाम और नाम,
5. जारी करने की तारीख और स्थान,
6. सर्च वारंट का क्रमांक नम्बर,
7. वैधता की अवधि अर्थात एक दिन या दो दिन आदि।
सीजीएसटी अधिनियम की धारा 67 में तलाशी या जब्ती से संबंधित मुख्य प्रावधान एवं सीमाएं-
1. जब्त की गई वस्तुएं या दस्तावेज उनके निरीक्षण के लिए आवश्यक अवधि के बाद नहीं रखे जाने चाहिए,
2. जिस व्यक्ति की अभिरक्षा में से दस्तावेज जब्त किये गये हैं वह दस्तावेजों की फोटोकॉपी ले सकता है,
3. जब्त की गई वस्तुओं के लिये, यदि जब्त करने के साठ दिनों के भीतर नोटिस जारी नहीें किया जाता, तब उस व्यक्ति को वह वस्तुएं वापस लौटा दी जाएंगी जिसके कब्जे से वे जब्त की गई थी। साठ दिनों की यह अवधि 6 महीने की अधिकतम अवधि तक न्यायोचित आधार पर बढाई जा सकती है,
4. जब्त करने वाले अधिकारी द्वारा सामान/वस्तुओं की सूची बनाई जाएगी,
5. सीजीएसटी नियमों के अंतर्गत कुछ वस्तुओं की श्रेणियां निर्दिष्ट (जैसे जल्दी खराब होने वाली, खतरनाम आदि) की गई है जिनका जब्ती के तुरन्त बाद निपटारा किया जा सकता है,
6. दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तलाशी और जब्त करने से संबंधित प्रावधान लागू होंगे। हालांकि, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 165 की उपधारा (5) के संबंध में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया गया है - बजाय तलाशी से संबंधित किसी रिकार्ड की प्रतिलिपि अपने निकटतम मजिस्टेªट, जिसे अपराध का संज्ञान लेने का अधिकार है, के पास भेजने के उन्हें सीजीएसटी/एसजीएसटी के प्रमुख आयुक्त/आयुक्त को भेजा जाना है।
धारा- 67 के अन्दर यह भी प्रावधान है कि अगर माल की जब्ती नहीं की जा सकती तो प्राधिकृत अधिकारी माल मालिक को आदेष दे सकता है िकवह माल का आगामी आदेष तक अपने कब्जे मे रखे और उसे बेच या बिना पूर्व आज्ञा के हटा नहीं सकता, अन्यथा डिस्पोजल नहीं कर सकता। उक्त् धारा के अंतर्गत रजिस्टर्ड व्यक्ति को सर्वे रिपोर्ट आदि लेने का प्रावधान है।
यह भी प्रावधान है कि अगर माल जब्त कर लिया है तो उसे एक जमानतनामा देने पर छोडा जा सकता है तथा अगर माल पेरिषियेबल है तो उसे निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार बेचकर उसका पैसा जमा रखा जायेगा।
जारी रहेगा...